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GST ने बड़ाई कारोबारियों की मुसीबत, टैक्स चुकाने के लिए ले रहे लोन



अभी तक आपने सुना होगा कि बिजनेस करने के लिए लोन लिया जाता है। जीएसटी टैक्स स्ट्रक्चर में कई कारोबारी टैक्स चुकाने के लिए लोन लेन, ज्वैलरी बेचने, एफडी तोड़ रहे हैं। उनके अनुसार जीएसटी में टैक्स चुकाने का स्ट्रक्चर ऐसा है कि उनकी वर्किंग कैपिटल फंस रही है जिससे उन्हें टैक्स चुकाने के लिए गैर-जरूरी तरीके इस्तेमाल करने पड़ रहे है।


सरकार ने दावा किया कि एक्सपोटर्स का पैसा फंसने या ब्लॉक होने की कोई समस्या नहीं है और फिलहाल जीएसटी का सिस्टम प्री-जीएसटी टैक्स सिस्टम वैट जैसा ही है। प्री-जीएसीटी दौर में एक्सपोटर्स इनपुट टैक्स रिफंड की जगह एक्सपोर्ट वैल्यू का 66 फीसदी ड्यूटी ड्रॉबैक लेते थे। अभी भी ड्यूटी ड्रॉबैक स्कीम जीएसटी लागू होने के बाद तीन महीने यानी 30 सितंबर 2017 तक के लिए लागू है। हालांकि, अगर एक्सपोर्टर्स ड्यूटी ड्रॉबैक लेते हैं, तो वह जीएसटी में इनपुट टैक्स रिफंड का फायदा नहीं ले सकते। यानी, सरकार के मुताबिक अभी भी एक्सपोटर्स का 66 फीसदी पैसा ब्लॉक नहीं हो रहा है। सरकार के मुताबिक बाकी बचे 33 फीसदी वैल्यू का रिफंड एक्सपोर्टर्स सामान्य टैक्स चुकाने और इनपुट क्रेडिट के जरिए रिफंड लेते हैं। प्री-जीएसटी में 33 फीसदी फंड 5 से 6 महीने के लिए फंसता था। फिलहाल जीएसटी में भी यही स्थिति है ।


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